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भय की महामारी

Authors :
Ranjan, Pramod
Publication Year :
2022
Publisher :
Humanities Commons, 2022.

Abstract

इस आलेख में बताया गया है कि कोविड एक महामारी अवश्य है, लेकिन इसका भय वास्तविकता की तुलना में अनुपातहीन है। इस भय की बहुत बड़ी कीमत भारत जैसे तीसरी दुनिया के देशों को उठानी पड़ रही है। पिछली कुछ सदियों में मानव-सभ्यता ने आजादी, बंधुत्व, लोकतंत्र आदि जिन मूल्यों को सृजन किया था, वह कम से कम तीसरी दुनिया के देशों में खतरे है। हालत लगातार बदतर होते जा रहे हैं। अनेकानेक अध्ययन बता रहे हैं कि कोविड से कई गुना अधिक लोगों की मौत भुखमरी, बदहाली व अन्य बीमारियों का उचित इलाज नहीं मिलने के कारण हो रही है तथा आने वाले समय में इनमें और इज़ाफा होगा।<br />यह आलेख प्रतिमान में प्रकाशित लेख का संक्षिप्त संस्करण है।

Details

Language :
Hindi
Database :
OpenAIRE
Accession number :
edsair.doi.dedup.....97666ef975f53bcc26d975f3cf85add1
Full Text :
https://doi.org/10.17613/nbn8-5x73